FACTS ABOUT HINDI KAHANI REVEALED

Facts About hindi kahani Revealed

Facts About hindi kahani Revealed

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hindi kahani

इन्दुमती अपने बूढ़े पिता के साथ विंध्याचल के घने जंगल में रहती थी। जबसे उसके पिता वहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगे, तब से वह बराबर उन्हीं के साथ रही; न जंगल के बाहर निकली, न किसी दूसरे का मुँह देख सकी। उसकी अवस्था चार-पाँच वर्ष की थी जबकि उसकी माता का परलोकवास किशोरीलाल गोस्वामी

बार-बार सुनने पर नीरसता की अपेक्षा और अधिक सरसता प्राप्त होती है। ये सभी

' श्यामा द्विजेंद्रनाथ मिश्र 'निर्गुण'

इस कथा साहित्य के माध्यम से प्रेमचन्द जी ने स्पष्ट किया था कि हमारे सामाजिक

रहे हैं। इन कहानियों को पढ़ने-सुनने से जहाँ जन सामान्य से लेकर विद्वानों का

राजनैतिक पराधीनता ने निर्धन वर्ग को अपनी कहानियों का विषय बनाया। इन कहानीकारों

गुसाईं का मन चिलम में भी नहीं लगा। मिहल की छाँह से उठकर वह फिर एक बार घट (पनचक्की) के अंदर आया। अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूँ शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाड़कर एक ढेर शेखर जोशी

का सम्बन्ध प्रेमचन्द के यथार्थवादी परम्परा से था, ओर दूसरी शाखा का सम्बन्ध 'जयशंकर प्रसाद की

और मूल्यों को त्यागना तथा नवीन मूल्यों की खोज करना आधुनिकता है। आधुनिकता का यह

हैं,' अमरकान्त की 'डिप्टी कलक्टरी' आदि कहानियों में

चीनी के खिलौने, पैसे में दो; खेल लो, खिला लो, टूट जाए तो खा लो—पैसे में दो। सुरीली आवाज में यह कहता हुआ खिलौनेवाला एक छोटी-सी घंटी बजा रहा था। उसको आवाज सुनते ही त्रिवेणी बोल, उठी—माँ, पैसा दो, खिलौना लूँगी। आज पैसा नहीं है, बेटी। एक पैसा माँ, हाथ विनोदशंकर व्यास

गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनन्द की कलोलें करने, वह सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतख़ाने में चले आए थे। रात दूध में नहा रही थी। दूर के पहाड़ों की चोटियाँ चतुरसेन शास्त्री

राजकन्या, जय संधि, मास्टर जी आदि, जैनेन्द्र कुमार

किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे

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